Friday 3 July 2020

रामायण

रामायण:-

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य स्मृति का वह अंग है। जिसको तुलसीदास जी के द्वारा हिन्दी में रामचरितमानस काव्य की रचना करते है ! अयोध्या के महाराज दशरथ के ज्येष्ट पुत्र श्रीरामचन्द्र जी की जीवन मे घटीत घटना पर आधारित महाकाव्य है राम जो कि भगवान विष्णु का ही एक अवतार है जो पुरुषोत्तम श्री राम के नाम से विख्यात हुये ! अयोध्या के राजा का दशरथ  के तीन पत्नियां थी। उनके पत्नियों का नाम था कौशल्या, कैकई और सुमित्रा । राजा दशरथ बहुत समय तक निसंतान थे और वह अपने सूर्यवंश की वृद्धि के लिए अर्थात अपने उत्तराधिकारी के लिए बहुत चिंतित थे। इसलिए राजा दशरथ ने अपने कुल गुरु ऋषि वशिष्ठ की सलाह मानकर पुत्र कमेस्टि यज्ञ करवाया, उस यज्ञ के फलस्वरुप राजा दशरथ को चार पुत्र प्राप्त हुए। उनकी पहली पत्नी कोशल्या से प्रभु श्री राम, कैकई से भरत, और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। उनके चारों पुत्र दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण और यशस्वी थे।

रामायण आदि कवि वाल्मीकि द्वारा लिखा गया संस्कृत का एक अनुपम महाकाव्य स्मृति का वह अंग है। जिसको तुलसीदास जी के द्वारा हिन्दी में रामचरितमानस काव्य की रचना करते है ! अयोध्या के महाराज दशरथ के ज्येष्ट पुत्र श्रीरामचन्द्र जी की जीवन मे घटीत घटना पर आधारित महाकाव्य है राम जो कि भगवान विष्णु का ही एक अवतार है जो पुरुषोत्तम श्री राम के नाम से विख्यात हुये ! अयोध्या के राजा का दशरथ  के तीन पत्नियां थी। उनके पत्नियों का नाम था कौशल्या, कैकई और सुमित्रा । राजा दशरथ बहुत समय तक निसंतान थे और वह अपने सूर्यवंश की वृद्धि के लिए अर्थात अपने उत्तराधिकारी के लिए बहुत चिंतित थे। इसलिए राजा दशरथ ने अपने कुल गुरु ऋषि वशिष्ठ की सलाह मानकर पुत्र कमेस्टि यज्ञ करवाया, उस यज्ञ के फलस्वरुप राजा दशरथ को चार पुत्र प्राप्त हुए। उनकी पहली पत्नी कोशल्या से प्रभु श्री राम, कैकई से भरत, और सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। उनके चारों पुत्र दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण और यशस्वी थे।



जब सीता से शादी करने की इच्छा लिए दूर दूर से राजा और महाराजा स्वयंवर में एकत्रित हुए तो स्वयंवर आरंभ हुआ बहुत सारे राजाओं ने शिव धनुष को उठाने की कोशिश की लेकिन कोई भी धनुष को हिला भी नहीं पा रहा था उठाना तो बहुत दूर की बात है यह सब देख कर राजा जनक चिंतित और दुखी हो गए और दरबार मे उपस्थित सभी राजाओ को फटकार लगाई तब लक्ष्मण क्रोधित होकर खडे हो जाते है और लक्ष्मण को ऋषि विश्वामित्र शांत करते हुएंे अपने शिष्य राम को उठने का अनुमति देते है । प्रभु राम अपने गुरु को प्रणाम कर उठे और उन्होंने उस धनुष को बड़ी सरलता से उठा कर जब उस पर प्रत्यंचा चलाने लगे तो धनुष टूट गया। राजा दशरथ ने शर्त के अनुसार प्रभु श्रीराम से सीता का विवाह करने का निश्चय किया और साथ ही अपनी अन्य पुत्रियों का विवाह भी राजा दशरथ के पुत्रों से करवाने का उन्होंने विचार किया। इस प्रकार एक साथ ही राम का विवाह सीता सेए लक्ष्मण का विवाह उर्मिला से भरत का विवाह मांडवी से और शत्रुधन का विवाह श्रुतकीर्ति से हो गया। मिथिला में विवाह का एक बहुत बड़ा आयोजन हुआ और उनमें प्रभु राम और उनके भाइयों की विवाह संपन्न हुआ विवाह के बाद बारात अयोध्या लौट आई।